News Analysis / भारत की पहली हाइड्रोजन ईंधन सेल (HFC) बस
Published on: August 22, 2022
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने भारत की पहली हाइड्रोजन ईंधन सेल (HFC) बस का शुभारंभ किया।
एपॉक्सी रेजिन, पॉली कार्बोनेट और अन्य इंजीनियरिंग प्लास्टिक के उत्पादन के लिये एक महत्त्वपूर्ण फीडस्टॉक CSIR-राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल) में बिस्फेनॉल-एक पायलट संयंत्र का भी उद्घाटन किया गया।
हाइड्रोजन ईंधन सेल (HFC):
परिचय:
हाइड्रोजन ईंधन सेल एक विद्युत रासायनिक उपकरण है जो हाइड्रोजन को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहनों में पाई जाने वाली पारंपरिक बैटरियों की तरह ही काम करते हैं, लेकिन वे डिस्चार्ज नहीं होते हैं और उन्हें बिजली से रिचार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है।
जब तक हाइड्रोजन की उपलब्धता रहती है, तब तक वे बिजली का उत्पादन जारी रखते हैं।
सबसे सफल ईंधन सेल में से एक पानी बनाने के लिये ऑक्सीजन के साथ हाइड्रोजन की प्रतिक्रिया का उपयोग करता है।
HFC संचालित वाहनों के लाभ:
नवाचार की मुख्य विशेषताएँ:
राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन:
केंद्रीय बजट 2021-22 के तहत एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन (National Hydrogen Energy Mission-NHM) की घोषणा की गई थी, जो हाइड्रोजन को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग करने के लिये एक रोडमैप तैयार करता है।
इसके तहत स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन विकल्प के लिये पृथ्वी पर सबसे प्रचुर तत्त्वों (हाइड्रोजन) का उपयोग किया जाएगा।
इस पहल में परिवहन क्षेत्र में बदलाव लाने की क्षमता है।
केंद्र बिंदु:
हरित ऊर्जा संसाधनों से हाइड्रोजन उत्पादन पर ज़ोर।
भारत की बढ़ती अक्षय ऊर्जा क्षमता को हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना।
हाइड्रोजन का उपयोग न केवल भारत को पेरिस समझौते के तहत अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करेगा, बल्कि यह जीवाश्म ईंधन के आयात पर भारत की निर्भरता को भी कम करेगा।
नवाचार का महत्त्व:
यह नवाचार प्रधानमंत्री के हाइड्रोजन विज़न का एक हिस्सा है जो वहनीय, सुलभ और स्वच्छ ऊर्जा के आत्मनिर्भर साधनों को सुनिश्चित कर जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को पूरा करेगा तथा नए उद्यमियों एवं रोज़गार का सृजन करेगा।
ग्रीन हाइड्रोजन एक उत्कृष्ट स्वच्छ ऊर्जा का वाहक है जो वाणिज्यिक परिवहन क्षेत्र से उत्सर्जित होने वाले भारी प्रदूषकों के डीकार्बोनाइज़ेशन को सक्षम बनाता है।
लंबी दूरी के मार्गों पर चलने वाली एक डीज़ल बस आमतौर पर वार्षिक स्तर पर 100 टन CO2 का उत्सर्जन करती है और भारत में ऐसी दस लाख से अधिक बसें हैं। लगभग 12-14% CO2 का उत्सर्जन डीज़ल चालित भारी वाणिज्यिक वाहनों से होता है, जो विकेंद्रीकृत स्वरुप में होने वाले उत्सर्जन हैं और इसलिये इन्हें कैप्चर करना एक कठिन कार्य है।
फ्यूल सेल वाहन शून्य ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन करते हैं। इसके अलावा प्रति किलोमीटर में उनकी परिचालन लागत डीज़ल से चलने वाले वाहनों की तुलना में कम है।
इस तरह के नवाचारों के माध्यम से भारत जीवाश्म ऊर्जा के शुद्ध आयातक से स्वच्छ हाइड्रोजन ऊर्जा का शुद्ध निर्यातक बनने का प्रयास कर सकता है।
यह एक बड़े हरित हाइड्रोजन उत्पादक और हरित हाइड्रोजन के लिये उपकरणों का आपूर्तिकर्त्ता बनकर भारत को हाइड्रोजन ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्रदान कर सकता है।
ग्रीन हाइड्रोजन:
परिचय:
यह पवन और सौर जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलाइज़र का उपयोग करके H20 को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विखंडित करके उत्पादित किया जाता है।
ईंधन को भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिये गेम-चेंजर माना जाता है, जो अपने तेल का 85% और गैस आवश्यकताओं का 53% आयात करता है।
फरवरी 2022 में ऊर्जा मंत्रालय ने ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करके ग्रीन हाइड्रोजन या ग्रीन अमोनिया के उत्पादन के लिये ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया नीति को अधिसूचित किया है।
महत्त्व:
भारत के लिये अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (INDC) लक्ष्यों को पूरा करने और क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, पहुँच तथा उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु हरित हाइड्रोजन ऊर्जा महत्त्वपूर्ण है।
ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा भंडारण विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है, जो भविष्य में (नवीकरणीय ऊर्जा के) अंतराल को पूरा करने के लिये आवश्यक होगा।
गतिशीलता के संदर्भ में शहरों और राज्यों के भीतर शहरी माल ढुलाई या यात्रियों हेतु लंबी दूरी की यात्रा के लिये रेलवे, बड़े जहाज़ों , बसों या ट्रकों आदि में ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग किया जा सकता है।
बुनियादी ढाँचे के समर्थन में हाइड्रोजन में प्रमुख नवीकरणीय क्षमता है।