News Analysis / मानव विकास में बाधा
Published on: September 08, 2023
चर्चा में क्यों?
हाल ही में साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन जनसंख्या/समष्टि बाधा से चिह्नित मानव विकास में एक महत्त्वपूर्ण अवधि पर प्रकाश डालता है, जो हमारे प्रारंभिक/आदिम पूर्वजों के समक्ष आने वाली चुनौतियों और आधुनिक मनुष्यों को आकार देने वाले आनुवंशिक परिवर्तनों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
चीन, इटली और अमेरिका के शोधकर्ताओं ने इस बाधा की जाँच करने के लिये फास्ट इनफिनिटेसिमल टाइम कोलेसेंट प्रोसेस ((FitCoal) नामक एक नवीन जीनोमिक विश्लेषण तकनीक का उपयोग किया।
फिटकोल (FitCoal):
यह आधुनिक मानव जीनोमिक अनुक्रमों का प्रयोग कर प्राचीन समष्टि आकार और जनसांख्यिकीय इतिहास का अनुमान लगाने की एक विधि है तथा साइट फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम (SFS) के लिये समग्र संभावना की गणना करती है, जो अनुक्रमों में अलील (Allele) आवृत्तियों का वितरण है।
फिटकोल मानव विकासवादी इतिहास में गंभीर बाधाओं और प्रजाति की घटनाओं का पता लगा सकता है जिन्हें जीवाश्म रिकॉर्ड से देखना मुश्किल है।
जीनोम अनुक्रमण:
जीनोम अनुक्रमण एक जीनोम में DNA न्यूक्लियोटाइड्स या आधारों के क्रम अर्थात्एडेनिन, साइटोसिन, गुआनिन और थाइमिन का क्रम जो एक जीव का DNA बनाते हैं, का पता लगाता है।
जीनोम अनुक्रम एक मूल्यवान संक्षिप्त/सरलतम उपाय का प्रतिनिधित्व करेगा, जिससे वैज्ञानिकों को जीन को अधिक आसानी से एवं तेज़ी से ढूँढने में मदद मिलेगी।
जीनोम अनुक्रम में जीन की उपस्थिति कहाँ हैं, इसके बारे में कुछ सुराग होते हैं, हालाँकि वैज्ञानिक इन सुरागों की व्याख्या करना सीख रहे हैं।
अध्ययन से संबंधित मुख्य बातें:
जनसंख्या बाधा:
जनसंख्या बाधा का आशय पर्यावरणीय घटनाओं अथवा मानवीय गतिविधियों के कारण आबादी के आकार में तीव्र कमी से है जो आबादी के एक बड़े प्रतिशत के प्रजनन को समाप्त कर देती है अथवा रोक देती है।
इससे शेष आबादी की आनुवंशिक विविधता तथा बदलती परिस्थितियों के अनुकूल ढलने की क्षमता कम हो जाती है।
इस अध्ययन से पता चलता है कि 800,000 से 900,000 वर्ष पूर्व एक गंभीर जनसंख्या बाधा उत्पन्न हुई थी जिससे मानव प्रजाति लगभग विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गई थी।
इस बाधा के दौरान केवल लगभग 1,280 प्रजनन सक्षम व्यक्तियों ने ही पूरी मानव आबादी का भरण-पोषण किया तथा यह स्थिति लगभग 117,000 वर्षों तक बनी रही।
जनसंख्या बाधा के कारण:
वातावरणीय कारक:
हिमाच्छादन की घटनाओं, तापमान में बदलाव तथा गंभीर सूखे को मानव पैतृक आबादी के आकार में गिरावट के कारणों के रूप में बताया गया था।
इस अध्ययन से पता चलता है कि लगभग 930,000-813,000 वर्ष पूर्व, बाधा अवधि के दौरान मनुष्य संभवतः विकट परिस्थितियों में जीवन बिता रहे थे।
अन्य प्रजातियों की जान की हानि ने भी जनसंख्या बाधा में योगदान दिया, जो पूर्वजों के लिये संभावित भोजन स्रोत थे।
आनुवंशिक विविधता का नुकसान:
प्रारंभिक/आदिम मानव पूर्वजों ने बाधा अवधि के दौरान जीवन की गंभीर हानि का अनुभव किया।
इसके परिणामस्वरूप आनुवंशिक विविधता का काफी नुकसान हुआ, अनुमान के मुताबिक प्रारंभिक से मध्य प्लेइस्टोसिन युग (दो मिलियन से 11,000 वर्ष पहले) के दौरान मनुष्यों की वर्तमान आनुवंशिक विविधता का 65.85% संभावित रूप से नष्ट हो गया।
विशिष्टता की घटना:
मानव विकास में बाधा उत्पन्न करने वाली घटना के परिणामस्वरूप दो पैतृक गुणसूत्रों का संलयन हुआ, जिससे आधुनिक मनुष्यों में गुणसूत्र 2 का निर्माण हुआ, जो एक विशिष्ट लक्षण है जो अन्य प्राइमेट्स में नहीं पाया जाता है।