News Analysis / भारत की छठी लघु सिंचाई गणना
Published on: September 01, 2023
स्रोत: पीआईबी
चर्चा में क्यों?
जल शक्ति मंत्रालय ने पूरे भारत में सिंचाई प्रथाओं की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए लघु सिंचाई योजनाओं (संदर्भ वर्ष 2017-18 के साथ) पर छठी गणना रिपोर्ट जारी की।
अब तक क्रमशः संदर्भ वर्ष 1986-87, 1993-94, 2000-01, 2006-07 और 2013-14 के साथ पाँच गणनाएँ की गई हैं।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
कुल लघु सिंचाई योजनाएँ:
देश में कुल 23.14 मिलियन लघु सिंचाई (MI) योजनाएँ बताई गई हैं।
Among these, 21.93 million (94.8%) are groundwater (GW) schemes, and 1.21 million (5.2%) are Surface Water (SW) schemes.
इनमें से 21.93 मिलियन (94.8%) भूजल (GW) और 1.21 मिलियन (5.2%) सतही जल (SW) योजनाएँ हैं।
योजनाओं के प्रमुख प्रकार:
लघु सिंचाई योजनाओं में खोदे गए कुओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, इसके बाद कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल हैं।
पाँचवी गणना की तुलना में छठी लघु सिंचाई गणना के दौरान लघु सिंचाई योजनाओं में लगभग 1.42 मिलियन की वृद्धि हुई है।
राष्ट्रीय स्तर पर भूजल और सतही जल स्तर की योजनाओं में क्रमशः 6.9% और 1.2% की वृद्धि हुई है।
MI योजनाओं में अग्रणी राज्य:
भारत में MI योजनाओं में उत्तर प्रदेश अग्रणी है तथा इसके बाद महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु का स्थान है।
खोदे गए कुओं, सतही प्रवाह और सतही लिफ्ट योजनाओं में महाराष्ट्र अग्रणी राज्य है।
उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और पंजाब क्रमशः उथले ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल के मामले में अग्रणी राज्य हैं।
SW योजनाओं में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, ओडिशा और झारखंड की हिस्सेदारी सबसे अधिक है।
स्वामित्व विश्लेषण:
लगभग 96.6% MI योजनाएँ निजी स्वामित्व के अधीन हैं।
GW योजनाओं में निजी संस्थाओं का स्वामित्व 98.3% है एवं SW योजनाओं में यह हिस्सेदारी 64.2% की है।
पहली बार MI योजना के हिस्सेदारों के लिंग पर डेटा एकत्र किया गया था।
व्यक्तिगत स्वामित्व वाली 18.1% योजनाओं का स्वामित्व महिलाओं के पास है।
वित्तपोषण और स्रोत:
लगभग 60.2% योजनाओं का वित्तपोषण एकल स्रोत से किया जाता है।
व्यक्तिगत किसानों की स्वयं की बचत, एकल-स्रोत वित्तपोषण (79.5%) में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
39.8% योजनाओं में वित्त के एक से अधिक स्रोत हैं।
लघु सिंचाई योजना:
लघु सिंचाई योजना एक प्रकार की सिंचाई परियोजना है जो 2,000 हेक्टेयर तक के कृषि योग्य कमांड क्षेत्र (CCA) की सिंचाई के लिये सतही जल या भूजल का उपयोग करती है।
CCA ऐसा क्षेत्र है जो खेती के लिये उपयुक्त होता है और योजना के तहत सिंचित किया जा सकता है।
लघु सिंचाई योजनाओं को दो प्रमुख श्रेणियों और छह उप-श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।
भूजल (GW) योजनाओं में खोदे गए कुएँ, उथले ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल शामिल हैं।
सतही जल (SW) योजनाओं में सतही प्रवाह और सतही लिफ्ट योजनाएँ शामिल हैं।
लघु सिंचाई योजनाएँ किसानों को नियंत्रित और समय पर सिंचाई सुविधा प्रदान करती हैं जिसमें बीजों की नई उच्च उपज वाली किस्मों की मांग होती है। ये योजनाएँ श्रम प्रधान, कम कार्यान्वयन अवधि वाली होती हैं और इन्हें शुरू करने के लिये उचित निवेश की आवश्यकता होती है।
सिंचाई से संबंधित सरकार द्वारा की गई पहलें:
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)